मासुमियत बयान करती ये मुस्कान और आंखों में पंछियों-सी ये चहक, है जो रोके लब पे वो बात होगी क्या अंगुलियों को गुंथकर क्या मन आया, आओ पुछ ही लिया देखो हमने... और वो खिलखिला के हंसने लगी, ना थी मिली कोई शान-ओ-शौकत नहीं बात कोई इतनी ही जरुरी थी, कुछ बच्चे बड़े घर के जिनकी मां थी इतवार को गुब्बारे ले कर खेल रहे थे, वही कहीं पास की एक बेंच में बैठी-बैठी बच्ची अपना बचपन मन में जी रही थी। Shree #a_journey_of_thoughts Unboundeddesires ........ ❤सुप्रभात ❤ 🌝प्रतियोगिता-370🌝