मैं अंश हूं ...इस आर्यभूमि की पावन माटी का.. मैं वंश हूं..उस गौरवशाली परंपरा परिपाटी का.. जिसकी ममता ने ,नारायण को गोकुल में बांधा था जिसके कोप ने, नीलकंठ महादेव शिव को साधा था जिसके शील के आगे, यम की मृत्यु भी हारी थी याद मुझे प्रतिपल वो ,सावित्री..वो यशोदा और भवानी थी।। उस परंपरा से हूं मैं .. कितनी जीजा मां ने, शिवा जैसे शूरवीर दिये कितनी पन्नाओ ने देश की खातिर ..अपने बेटों के सर वार दिये।। ये देश मेरा परिवेश मेरा जहां हुयी हांडा रानी .. मातृभूमि के हित में शीश चढ़ाकर ही मानी... उस राजपूताने की शान धन्य पद्मावती रानी.. जो हारा ना तलवारो से ..जौहर ज्वाला से हुआ पानी पानी।। जब नाम वीरता का आया .. वो पौरूष पर भारी थी .. खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो अवंतिका.. दुर्गावती महारानी थी है वंदन..है अभिनंदन... है नमन मेरा ये गर्व मेरा .. अभिमान मेरा ..है नाज़ मेरा. कि मैं अंश हूं, इस आर्यभूमि की पावन माटी का.. मैं वंश हूं ,उस गौरवशाली परंपरा परिपाटी का.. "अनु" मैं अंश हूं