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ये महकता बदन, जैसे हो कोई चंदन। अंगड़ाइयां लेता ये

ये महकता बदन,
जैसे हो कोई चंदन।
अंगड़ाइयां लेता ये जोबन,
प्यार में बन बैठी हूं मैं जोगन।
तन मन में लगी है अगन,
तुम बिन नहीं कटे ये जीवन।
ये कजरारे नैना,
तुम मुस्किल है रहना।
ये खुले खुले बाल,
अब तो आ जाओ 
तुम बिन है बुरा हाल ।
अच्छा नहीं लगता सजना संवरना,
अब और न सताओ मर जाऊंगी वरना।

©Shishpal Chauhan
  #छवि_बनकर मैं रहूंगी

#छवि_बनकर मैं रहूंगी #कविता

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