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heart पुराना ख़त जिस किताब में रखा, अपना असर उस पर

heart पुराना ख़त जिस किताब में रखा,
अपना असर उस पर भी छोड़ता गया..!

एक एक पन्ना खुद को जैसे,
इश्क़ की राह में मोड़ता गया..!

छपे अल्फ़ाज़ तेरे प्यार के,
बिख़रे जज़्बात को जोड़ता गया..!

पढ़ कर आँसू थमे नहीं,
खुद को एहसासों में निचोड़ता गया..!

कभी हँसता कभी रोता देख,
शब्दों का मायाजाल मुझे तोड़ता गया..!

तेरा नाम पढ़ा जो संग में खुद के,
इश्क़ की नई परिभाषा गढ़ता गया..!

धुंधली पड़ गई थी जो यादें,
योग्यता से आगे बढ़ता गया..!

उम्र की सीमा भूल खुद से भी,
यूँ ही खुद से लड़ता गया..!

परवान चढ़ा था इश्क़ जो कभी,
अब उसी ओर फिर से चढ़ता गया..!

©SHIVA KANT(Shayar) #Heart #puranakhat