कि तु छोड़ गयी जबसे न किसी से बात न मुलाकात करता हूं बस तन्हाई में दीवारों से बात करता हूं जब भी झलकता है मेरी आंखों से दर्द कांपी पेन उठा कर लिख दिया करता हूं by - ##सन्तोष@@@