महबूब * क्यों बदल गए वो आज तक न समझ आये हर वक्त उसकी आवाजे दे रही सुनाई यार #फरेबी मेरा चाहे किसी #गैर को तो शिकवा नही #दुआ यही कोई उसे नहीं #रुलाये सितारे हजार पर मेरा चाँद न नजर आए दिल को तेरी फिकर पर तेरी कोई ख़बर न आये जिन आँखो में मेरे लिए प्यार दिखता था कभी शायर बन जिनके लिए प्यार भरे लफ़्ज लिखता था कभी कभी मेरा दिल जो धड़कता था तेरे सिने में तू दूर अब तो मुस्किल बडी जीने में बेशक तू ही मुझे भूल जाये पर में रोऊं रोज करू दुआ तुझे कोई न रुलाये .................