यूं तो अक्सर है हम बतियाते सभी से, पर कहीं न कहीं दिल और दिमाग में रखे रह जाते है बहुत से एहसास ,जो कभी उलड़ नहीं पाते और धीरे-धीरे दब दब कर एकत्रित हो बन जाते एक मोटा रफ़ रजिस्टर जो कभी खोला नहीं जाता.. फिर हो जाता कम बोलना सभी से .. या रह जाता बस औपचारिकता भर..लोग समझने लगते शायद अंहवादी..या फिर आप इतना बोलते हैं कि थकते नहीं बोलते बोलते.. किंतु रह जाते अंदर ही अंदर खोखले .. बन जाते रफ़ रजिस्टर..पन्ने जिसके रहते तितर बितर.. अनीता विजयवर्गीय से प्रेरित #रफकॉपी #रफ़रजिस्टर #यूंही #औरत_की_एह़मियत #ख्यालात