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अपने-पराये पुराने दरख़्तों के साये में सुकून मिलता

अपने-पराये पुराने दरख़्तों के साये में सुकून मिलता है,
बुजुर्गों के पास बैठो तज़ुर्बा ख़ूब मिलता है।

हर मौसम बहारों का मौसम नहीं हो सकता,
क़भी कभार तो रेत में भी फूल खिलता है।

घऱ के बुजुर्गों से सिखलो जीने के तरीके,
हर सामान बाज़ार में कहा बिकता है।

#बुजुर्ग #apneparaye 
पुराने दरख़्तों के साये में सुकून मिलता है,
बुजुर्गों के पास बैठो तज़ुर्बा ख़ूब मिलता है।

हर मौसम बहारों का मौसम नहीं हो सकता,
क़भी कभार तो रेत में भी फूल खिलता है।

घऱ के बुजुर्गों से सिखलो जीने के तरीके,
अपने-पराये पुराने दरख़्तों के साये में सुकून मिलता है,
बुजुर्गों के पास बैठो तज़ुर्बा ख़ूब मिलता है।

हर मौसम बहारों का मौसम नहीं हो सकता,
क़भी कभार तो रेत में भी फूल खिलता है।

घऱ के बुजुर्गों से सिखलो जीने के तरीके,
हर सामान बाज़ार में कहा बिकता है।

#बुजुर्ग #apneparaye 
पुराने दरख़्तों के साये में सुकून मिलता है,
बुजुर्गों के पास बैठो तज़ुर्बा ख़ूब मिलता है।

हर मौसम बहारों का मौसम नहीं हो सकता,
क़भी कभार तो रेत में भी फूल खिलता है।

घऱ के बुजुर्गों से सिखलो जीने के तरीके,
jitendra7777570

#Jitendra777

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