तेरे गगन का,सितारा हूँ मैं, तेरी कश्ती का,किनारा हूँ मैं। छूट जाऊँगा तेरे हाथों से, जैसे पिघला हुआ,पारा हूँ मैं। आग ही आग मेरे दामन में, जलता-सा एक,शरारा हूँ मैं। गिर रहा ऊँचे पहाड़ों से कहीं, चोट खाता हुआ,धारा हूँ मैं। बह चला तेरी,लहर में ऐसे, तू है एक झील,शिकारा हूँ मैं। कामयाबी में,तेरी मैं जीता, तेरी हर हार में,हारा हूँ मैं। न समझना,तू अकेला ख़ुद को, 'प्रीत' अब तेरा,सहारा हूँ मैं। ©®प्रतिष्ठा"प्रीत" #yourquote #yourquotedidi #yiurquotedairy #yourwuotebaba #mythoughts #myquote #myfeelings #pratishtha"preet"