बदल रहा है तेरा तसर्रुफ़ , दिलों का आलम बदल गया हैं । बदल रही हैं हवाएं दिल की , दिलों का मौसम बदल रहा है । बदल रही है फिज़ा चमन की , खिजा के रंग भी अब धुल रहे हैं । रंगो की बारिश पड़ी जेहन में , ख़ामोश लव भी अब खुल रहे हैं । दिलों की धड़कन भी बढ़ गई है , तुम्हारा चेहरा भी खिल रहा है । खिली खिली है कली चमन की, गुलाब बन के दिल खिल गया है । गुलाब की उन खुशबुओं में , हमारा दिल भी बहक रहा है । बदल रहा है तेरा तसर्रुफ़ , दिलों का आलम बदल गया है । ✍️ आशीष शुक्ला love