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छुपा रखे थे जो राज़ बरसो से, दिल के

 छुपा   रखे   थे  जो    राज़   बरसो   से,
 दिल   के    किसी   गुमनाम  से कोने में।

 सोचती   हूँ   छिपाए   रखूँ   या  बता  दूँ,
 या   कर  दूँ   सरेआम   कोने   कोने   में।

 क्या  कह   पाऊँगी  दास्ताँ उन लम्हो की,
 जिसमें  कुछ   हँस   के  कटे,कुछ रोने में ।

 कहीं   रुसवा   तो  होगी  मोहब्बत हमारी,
 ऐसा ना हो बीते जिंदगी आँचल भिगोने में।

राज़  अगर  राज़  ही   रहें  तो अच्छा होगा ,
राज़ खुला ,दुनिया देर नही करेगी कश्ती डुबोने में ।।

©poonam atrey
  #मेरे_अल्फ़ाज़  ram singh yadav ✍️vishwakarma g Badal Singh Kalamgar Deep अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर  kumar samir Navash2411 Puja Udeshi Bhavana kmishra Payal Das  Rajesh Arora Bhardwaj Only Budana Mili Saha Noor Hindustanai Anil Ray  HINDI SAHITYA SAGAR दिनेश कुशभुवनपुरी Richa Mishra Urvashi Kapoor मनोज मानव  Raj Guru -hardik Mahajan Ambika Mallik Saloni Khanna Kamlesh Kandpal  Mahi Suresh Gulia kukku Anshu writer अदनासा-  R K Mishra " सूर्य " Utkrisht Kalakaari Rama Goswami Praveen Jain "पल्लव"  @Dil_E_Nadan Aditya kumar prasad shashi kala mahto खामोशी और दस्तक पथिक..  शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Ashutosh Mishra डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313) Balwinder Pal Shilpi Singh  Lalit Saxena हिमांशु Kulshreshtha प्रज्ञा