हम वहां नहीं रहे तुम जहां नहीं रहे। तुम जहां नहीं रहे, गम वहीं कहीं रहे।। कुदरत की है नुमाइश जिस हुस्न के बिना पे। कुछ नहीं रहे यहां बस वही समा रहे।। दिल को तो है करार उसी जालिम के कफस में। अब जां रहे या ना रहे, दिल वहीं फसा रहे।। निगाहों में मस्ती, मिजाजों में सख्ती। अय यार तू यूंही सदा सदा जवां रहे।। Adnan Rabbani's Shayari • हम वहां नहीं रहे तुम जहां नहीं रहे। #तुम #जहां नहीं रहे, गम #वहीं कहीं रहे।। #कुदरत की है #नुमाइश जिस #हुस्न के #बिना पे। कुछ नहीं रहे यहां बस वही #समा रहे।।