आपसी नफरती दौर गहरा है हर आवाज़ पर एक पहरा है बाहर से दिखता है सब सुंदर अंदर पल रहा सर्प विषैला है ऐसे भयानक दौर में लड़ने को अब नही बोलोगे तो कब बोलोगे ~ #कपिल_राही अब नहीं बोलोगे तो कब बोलोगे