कबूतरों को ही कहाँ तक सही है कसूरवार कहना, गर लड़ जातीं हैं मिलाने से नजरें, तो किसने रोका है झुकाने से बहना कबूतरखाने में तेरे कई हैं ,तेरे महफूजियत के खातिर, फिर खिलाफ उनके होकर, क्यों कबूतर के संग रहना #कबूतरी #कबूतऱ #respectlove #but #not #her #blame ,love have both sides agreed