हर खामोशी बेजुबान नहीं होती, ज़हन में उसके भी शोर है, तासीर चाहे कितनी भी नर्म हो, शब्दों में इसके ऐड़ी का ज़ोर है। बौखलाहट इतनी नहीं होती, शायद अपने वजूद को पाने की, मगर झनझोर रखा है ज़िन्दगी ने इस कदर, की ललक उठ चुकी है अब ज़हन में मेरे। शायद वैकतित्व मेरी इतनी शालीन नहीं होती, अगर अंतरमन का द्वंद यूं छिड़ा न होता, मै होता तब किसी और ही वक्तव्य का, और ये मन मेरा यूं विचलित ना होता।। #बेजुबान #शोर #शालीन #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqdada #yqtales