शब्दों की प्रश्नडोरी में उलझा जीवन मरण समान हो जाता है, जीवन नाम की पाठशाला में उत्तर पुस्तिका ही खो जाती है, असमंजस में पड़े हम विचारहीन बस भविष्य को निहारते हैं, ज़िन्दगी मृत्यु भूत,वर्तमान,भविष्य से कोसों दूर हो जाती है। प्रश्न प्रश्न ही रहते हैं ,उत्तर के कभी आस पास हो नहीं पाते हैं, हम कभी किसी को, कभी किसी को कोसने में लगे रहते हैं, अपनी ही वास्तविकता से तो बस दूर बहुत दूर निकल जाते हैं, जीवन क्या है,मरने के बाद भी हमेशा विचारहीन रह जाते हैं। खुद को ही खोजने का प्रयास पूर्ण रूप से विफल हो जाता है, प्रश्नावली का बोझ असहनीय तो है,जीवन स्वार्थी हो जाता है, क्यों करें उत्तर की खोज, ज़रूरत का हर प्रश्न तो हो जाता है, उत्तर जानने के प्रयास के बिना जीवन मरण व्यर्थ हो जाता है। यों ही मानवता दिन रात स्वार्थ में डूब रही है, लक्ष्य खो गया, प्रश्नोत्तर ढूँढना कुछ संवेदनाओं से प्रेरित होकर ही हो पाता है, जीते जी अर्थहीन समाज में जीवन तो अब अलोप हो ही गया, बस जीवन जीने से पहले ही ज़िन्दा लाश होकर रह जाता है। #प्रश्नडोरी #मानवता #प्रश्नावली #असमंजस #असहनीय #विचारहीन #yqhindi #bestyqhindiquotes