ख्वाइशें मैं अरसों से अफ़साने लिखता हूं, कुछ हकीकत तो कुछ ख्वाब लिखता हूं, कुछ ख्वाईशो के लिए , अज़ान और आयतें पढ़ता हूँ, कुछ सपनों के लिए, पंखों की तलाश करता हूँ, तमन्ना जीने की रख कर, मैं सामना मौत का करता हूँ, मैं अरसों से अफ़साने लिखता हूँ।। दरिया के किनारे पर, रेत से मंजर लिखता हूँ, मोतियों की खोज में, सीपियों संग डोलता हूं, मैं जुगनू सा चमककर, अंधेरे को कोसता हूं, मैं अरसों से अफ़साने लिखता हूं।। #parijat अरसों बाद के कुछ अफ़साने.....