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धरती हरित रूप श्रृंगार करे, बरसे रिमझिम सी फुहा

धरती हरित रूप  श्रृंगार करे, बरसे  रिमझिम  सी फुहारें,
तन भींगे मन  अगन लगाये, प्रकृति अपनी  रूप निखारे।

बागों में झूले, श्रावण के मेले, मन उमंग हर्षित हो जाता,
भोले की नगरी चमके, मासों में उत्तम  सावन कहलाता। साहित्य कक्ष 2.0
प्रतियोगिता संख्या 01/S2 

आप सभी का स्वागत 💐 है अनुशीर्षक में

✍️चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें
        
🅽🅾🆃🅴 - अगर कोई  रचनाकार नियमों और शर्तों को  ध्यान में रखकर Collab नहीं करता है। तो उसकी रचना को हम प्रतियोगिता में सम्मिलित करने में असमर्थ रहेंगे।
धरती हरित रूप  श्रृंगार करे, बरसे  रिमझिम  सी फुहारें,
तन भींगे मन  अगन लगाये, प्रकृति अपनी  रूप निखारे।

बागों में झूले, श्रावण के मेले, मन उमंग हर्षित हो जाता,
भोले की नगरी चमके, मासों में उत्तम  सावन कहलाता। साहित्य कक्ष 2.0
प्रतियोगिता संख्या 01/S2 

आप सभी का स्वागत 💐 है अनुशीर्षक में

✍️चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें
        
🅽🅾🆃🅴 - अगर कोई  रचनाकार नियमों और शर्तों को  ध्यान में रखकर Collab नहीं करता है। तो उसकी रचना को हम प्रतियोगिता में सम्मिलित करने में असमर्थ रहेंगे।