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जो मन से लाचार हैं,लिख नइँ सकते गीत. लिखने के हित

जो मन से लाचार हैं,लिख नइँ सकते गीत.
लिखने के हित चाहिये,सद्भावों से प्रीत.
सद्भावों से प्रीत,साथ में बल समता का.
भूल घृणा का भाव,चाहिये सँग ममता का.
कह सतीश कविराय,गूढ़ रिश्ता जीवन से.
लिख सकता वह गीत,सबल होवे जो मन से.
*सतीश तिवारी 'सरस'

©सतीश तिवारी 'सरस' #कुण्डलिया_छंद
जो मन से लाचार हैं,लिख नइँ सकते गीत.
लिखने के हित चाहिये,सद्भावों से प्रीत.
सद्भावों से प्रीत,साथ में बल समता का.
भूल घृणा का भाव,चाहिये सँग ममता का.
कह सतीश कविराय,गूढ़ रिश्ता जीवन से.
लिख सकता वह गीत,सबल होवे जो मन से.
*सतीश तिवारी 'सरस'

©सतीश तिवारी 'सरस' #कुण्डलिया_छंद