जिसे जो चाहिए कहां वो मिलता है? दरअसल यही मिसरा हर शक्श को खलता है! ता - उम्र इस्तेमालन उसे न हुआ नसीब इक दर्जी, लिबाज़ अकसर जो सिलता है! झील के हकदार एक इक बूंद को क्यू न मरे! यहां मन-ओं पानी नालियों में जो मिलता है! जश्न में दावतों में कुछ हज़ार निवाले फेंके गए हैं और कुछ हज़ार का पेट निवालों को जलता है! तुम्हारी दिल-ए-मुफलिसी का अंदाज़ा किसे "कृष्णा" तुम्हारे यहां भट्टियों में सोना जो गलता है #nojotohindi #i_observe