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जो परिंदे मौसमों की चाह में उड़ जाते हैं मुड़ के उ

जो परिंदे मौसमों की चाह में उड़ जाते हैं
मुड़ के उसी शजर की शाखों पर लौट आते हैं 
मौसम सदा एक से नहीं रहते 
पर शजर कभी मौसमों के बदलने से बदल नहीं जाते

©Dr  Supreet Singh
  #सिर्फ़_मौसम_बदलते_हैं