अरे प्रिऐ.... मन के समन्दर मे उठी आकाँक्षाओ की लहरें कभी रूक सकती है, क्या भला....? वो तो बस घटती है और बढती है.... खत्म नही होती खत्म हुई जो , तो निर्वाण मिला समझो.... ©jagat Raghuvanshi #samandar#sayari #Dil #NirwanDairy #MOKSHA Rajput writes सुमन