वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था नवीं का याराना था और अभिनन्दन का रास्ता था, थी थोड़ी नोंकझोंक पर प्यार भी बहुत सारा था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, चिठ्ठियों का सिलसिला था कभी रूठना कभी मनाना था सनावदा रोड़ छुपकर जाना था और राजवाड़ा की जलेबी का स्वाद था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, कोई किसी का क्रश था कोई किसी का लवर था कइयों ने रास्ते बदले थे तो कोई इरादा बना कर बैठा था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, वो रितिक की चौकीदारी थी वो 11वी का फिज़िक्स था वो फिर भागकर अभिनन्दन जाना था क्योंकि केमिस्ट्री भी तो बहुत प्यारा था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, वो अंत भी कितना प्यारा था अपने कैरियर का फिक्र था फुट फुट कर रोना था और गले लगाकर हसीन पलो को याद करना था वो दोस्ती का क्या खूब नज़ारा था,, - शोहराब शैख़ (शानू) #shaikh