कविता में तुम छंद में हो तुम जीवन के प्रति द्वन्द में हो तुम , रक्षा कवच कुत्सित दृस्टि का चक्षु समाहित अंजन तुम हो मेरे तन के रोम रोम का हर एक स्पंदन तुम हो ♥️ Challenge-901 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।