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"गरीबी" फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बिताता हूँ, काली अं


"गरीबी"
फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बिताता हूँ,
काली अंधेरी रात में स्ट्रीट लाइट का आसरा रखता हूँ,
खाने के लिये मैं दर-दर भटकता हूँ,
जहर बन चुके दूषित खाने को भी 
अमृत समझ उसका निवाला लेता हूँ,
इस भाग दौड़ भरी लोगों की जिंदगी निहार कर, 
खुद का कुछ पल बिता लेता हूँ,
नंगे बदन में फटे कपड़े 
पहन कर संतोष कर लेता हूँ,
जैसे तैसे हर एक दिन गुज़ारता हूँ,
नये दिन के उजाले के लिये आज की रात
तो ज़िन्दा रहूंगा या नहीं, इसी कशमकश में 
सारी रात जाग कर बिता देता हूँ,
क्या करूँ जनाब! गरीब हूँ, 
गरीबी से दोस्ती करके अपना जीवन जीया करता हूँ..
 
"गरीबी"
फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बिताता हूँ,
काली अंधेरी रात में स्ट्रीट लाइट का आसरा रखता हूँ,
खाने के लिये मैं दर-दर भटकता हूँ,
जहर बन चुके दूषित खाने को भी 
अमृत समझ उसका निवाला लेता हूँ,
इस भाग दौड़ भरी लोगों की जिंदगी निहार कर,

"गरीबी"
फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बिताता हूँ,
काली अंधेरी रात में स्ट्रीट लाइट का आसरा रखता हूँ,
खाने के लिये मैं दर-दर भटकता हूँ,
जहर बन चुके दूषित खाने को भी 
अमृत समझ उसका निवाला लेता हूँ,
इस भाग दौड़ भरी लोगों की जिंदगी निहार कर, 
खुद का कुछ पल बिता लेता हूँ,
नंगे बदन में फटे कपड़े 
पहन कर संतोष कर लेता हूँ,
जैसे तैसे हर एक दिन गुज़ारता हूँ,
नये दिन के उजाले के लिये आज की रात
तो ज़िन्दा रहूंगा या नहीं, इसी कशमकश में 
सारी रात जाग कर बिता देता हूँ,
क्या करूँ जनाब! गरीब हूँ, 
गरीबी से दोस्ती करके अपना जीवन जीया करता हूँ..
 
"गरीबी"
फुटपाथ पर अपनी जिंदगी बिताता हूँ,
काली अंधेरी रात में स्ट्रीट लाइट का आसरा रखता हूँ,
खाने के लिये मैं दर-दर भटकता हूँ,
जहर बन चुके दूषित खाने को भी 
अमृत समझ उसका निवाला लेता हूँ,
इस भाग दौड़ भरी लोगों की जिंदगी निहार कर,