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मजबूरी में हमें उन लोगों की याद आती है, जिनकी सूरत

मजबूरी में हमें उन लोगों की याद आती है, जिनकी सूरत भी विस्मृत हो चुकी होती है। विदेश में हमें अपने मुहल्ले का नाई या कहार भी मिल जाए, तो हम उसके गले मिल जाते हैं, चाहे देश में उससे कभी सीधो मुँह बात भी न की हो।

©Deepanjali Singh
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