"कुत्ते का नजरिया" Read Story in Caption. #indianmedia पेनलिस्ट "घुंवर लाल घुंगराले" आते ही पूछ चुके थे "कि यह टीवी मे कब आएगा ?" वो इस सच से अपरिचित थे की यह डीबेट शो लाइव आएगा । कुर्सी पे अपनी तशरीफ़ एडजस्ट करते हुए पेनलिस्ट बबलू बकलोल ने अपने साथ बैठे घुंवर लाल जी को बताया "यह तो सिधा प्रसारण आएगा,हमने तो अपने गांव मे बता दिया कि ठीक रात 8 बजे टीवी चला दीजिएगा" । कोने मे बैठे नेता जी को इन फिजूल बातों से कोई फर्क नहीं पड रहा था,वो अपने सवाल जवाबों के कागजों की फ़ेहरिस्त समेटने मे खोए हुए थे,स्टूडियो में एसा माहोल था जैसे परीक्षा शुरु होने वाली है,एक तरफ नेता जी थे जो 5 साल मे अपनी ही गली का एक सीवर का धक्कन लगवा कर खुद को मेधावी छात्र समझ रहे थे,दुसरी और बबलू और घुंवर जैसे छात्र जिनहें यह तक नहीं पता की परीक्षा का विषय क्या है बस मौजूद इसलिए है कि मौहल्ले के चार लोग यह बोल सके "कि आप तो वही हो ना जो टीवी मे थे" बबलू और घुंवर लाल ठिठोली कर ही रहे थे तभी बीच मे शो के एंकर आ गए और बिचों बीच आके अपने शाही तख्त पे बैठ गए ,कैमरामैन ने भी देर ना करते हुए कैमरे का फोकस एंकर "करतब चौधरी" के चमकते चहरे पे कर दिया । सब आ गए थे बस जिनकी जात पर आरोप लगने थे उस कुत्ता जात के गली के मुखिया "टोमी" की कुर्सी खाली थी,सब दरवाज़े की तरफ टकटकी लगाए थे और आखिर मे भागते हुए टोमी कुर्सी पर कूद कर बैठ गए । सामने टैलीप्रोम्पटर पर बडा बडा लिखा था "आखिर कब तक कुत्ते करेंगे पीछा" 3 की गिनती पे शो शुरु होता है,और शो शुरु होते ही एंकर करतब चौधरी ने मरते किसानों,बंद होती दुकानों,शहीद जवानों की समस्या से भी बडा सवाल उठा दिया "यह कुत्ते क्यों चलाना चाहते है मरसडीज़,एल्टो और बलैनो?"