मापनी - १२२२-१२२२-१२२ मुहब्बत में तेरे दिलबर खड़े हैं झलक इक पाने को बाहर खड़े हैं।।१ ये ऊँचे महलों वाले क्या ही जानें कि कितने आदमी बेघर खड़े हैं।।२ यहाँ हम मुंतज़िर हैं राह मे औ वहाँ पहले से सौदागर खड़े हैं।।३ कहाँ तक तुम बचोगे दुश्मनों से वो घर के नीचे कीना वर खड़े हैं।।४ #ग़जल #शेर #शायरी #दर्द #प्यार