हो तो बरगद जैसे तुम, अचल, पुरातन और अकेले। दी भी तुमने जो छांव मुझे वो तो पसरी थी यूँ भी सभी के लिए तुम्हारी पनाह में बैठी भिक्षुणी जो तुम्हारे मोह में अपनी राह भटक गई है पर एक दिन वो उठेगी और चल पड़ेगी अनजान रास्तों के भय से निःशंक होकर है तो वो पथिक ही गतिशील, आधुनिक और अकेली। #मोह #प्यार #पथिक #भिक्षुणी #बरगद #छांव YourQuote Baba YourQuote Didi