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मानता हूँ मेरी माँ अनपढ़ है जब भी किसी काम के लिए

मानता हूँ मेरी माँ अनपढ़ है

जब भी किसी काम के लिए पैसे की मांग करुं तो 
अक्सर वो पैसे बिन गिनती के,हाथ में थमा देती है,

जब भी घर से बाहर के लिए पैर करुं तो
अक्सर वो गिनती से ज्यादा कपड़े पैक करवा देती है,

जब भी खाने  के वक्त एक रोटी मांग करूँ तो 
अक्सर वो एक बदले, दो रोटी हाथ में थमा देती है,

जब भी किसी से बहस  करूँ तो,
अक्सर वो मुझे डांट के,चुप करा देती है

जब भी कोई चोट खाने वाला काम करूँ तो
अक्सर वो चोट का इलज़ाम, खुद पर लगा देती है,

जब भी भाई बहन से कोई झगड़ा करुं तो
अक्सर वो बिना पक्ष के ,मसला सुलझा देती है,

जब भी कोई बेतुकी बात करूँ तो
अक्सर वो एक ,थपड़ मारकर समझा देती है,

जब भी *चौहान* इस, जिंदगी से जाने की बात करूँ तो
अक्सर वो आँखों में आंसू लेकर, मुझे भी रुला देती है,

मानता हूँ मेरी माँ अनपढ़ है
अक्सर वो पढ़े-लिखे को भी समझ देती है #mothersday #mother #motherlove #mothercare #mother
मानता हूँ मेरी माँ अनपढ़ है

जब भी किसी काम के लिए पैसे की मांग करुं तो 
अक्सर वो पैसे बिन गिनती के,हाथ में थमा देती है,

जब भी घर से बाहर के लिए पैर करुं तो
अक्सर वो गिनती से ज्यादा कपड़े पैक करवा देती है,

जब भी खाने  के वक्त एक रोटी मांग करूँ तो 
अक्सर वो एक बदले, दो रोटी हाथ में थमा देती है,

जब भी किसी से बहस  करूँ तो,
अक्सर वो मुझे डांट के,चुप करा देती है

जब भी कोई चोट खाने वाला काम करूँ तो
अक्सर वो चोट का इलज़ाम, खुद पर लगा देती है,

जब भी भाई बहन से कोई झगड़ा करुं तो
अक्सर वो बिना पक्ष के ,मसला सुलझा देती है,

जब भी कोई बेतुकी बात करूँ तो
अक्सर वो एक ,थपड़ मारकर समझा देती है,

जब भी *चौहान* इस, जिंदगी से जाने की बात करूँ तो
अक्सर वो आँखों में आंसू लेकर, मुझे भी रुला देती है,

मानता हूँ मेरी माँ अनपढ़ है
अक्सर वो पढ़े-लिखे को भी समझ देती है #mothersday #mother #motherlove #mothercare #mother