पल पल जलता है, इश्क़ में हर आशिक तड़पता है, रूहों को छल्ली करता है, ना जानें कितने जिस्म बदलता है, कभी रोता है तो कभी बिलखता है, शरीर से जैसे ख़ून कतरा कतरा गिरता है, सासें थमती है आहें भी भरता है, प्यार में आदमी अपनी सारी हदों से गिरता है, एक शायर क्या समझाएं किसी को, वो कितना ज़्यादा प्यार कर सकता है। पल पल जलता है, इश्क़ में हर आशिक तड़पता है, रूहों को छल्ली करता है, ना जानें कितने जिस्म बदलता है, कभी रोता है तो कभी बिलखता है, शरीर से जैसे ख़ून कतरा कतरा गिरता है,