दिन चुनना छोड़ दिया मैंने, अब तो सीधे रात चुनता हूं। जो दिन में दिखता हो, मैं वो नहीं। मैं वो फूल हूं, जो अंधेरी रातों में खिलता हैं। दिन में सूरज को कौन टक्कर दे पाएगा, बस रात में सितारा-सा चमकना चुन लिया मैंने। -हसको जगारा ©Hasko Jaggara दिन चुनना छोड़ दिया मैंने, अब तो सीधे रात चुनता हूं। जो दिन में दिखता हो, मैं वो नहीं। मैं वो फूल हूं, जो अंधेरी रातों में खिलता हैं। दिन में सूरज को कौन टक्कर दे पाएगा, बस रात में सितारा-सा चमकना चुन लिया मैंने।