" इस सय में क्या बताते की फिर जताते हम, अपनी मर्ज कि दबा फिर कहा से लाते हम, क्या बताये कि क्या ख्याल रखा हैं मैंने, उसकी आखों में एक सवाल छोड़ रखा हैं मैनें, क्या बताये कि किस तर्ज पे फिर ये मुहब्बत हम निभा रहे हैं, कहीं कुछ सवालात अधूरी तो कहीं कोई जबाब अनसुना हैं. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " इस सय में क्या बताते की फिर जताते हम, अपनी मर्ज कि दबा फिर कहा से लाते हम, क्या बताये कि क्या ख्याल रखा हैं मैंने, उसकी आखों में एक सवाल छोड़ रखा हैं मैनें, क्या बताये कि किस तर्ज पे फिर ये मुहब्बत हम निभा रहे हैं, कहीं कुछ सवालात अधूरी तो कहीं कोई जबाब अनसुना हैं. " --- रबिन्द्र राम