मिले थे हम जैसे अंजान कोई तुम्हें जाना तो लगा अपना सा कोई लगता है आज भी सालो बाद जैसे कल ही की हो कोई बात वक़्त का क्या है काटता वक़्त के संग इस वक़्त ने भी दिखाए क्या क्या रंग कभी तुम्हारे बिन तो कभी तुम्हारे संग यह वक़्त जो कटा तुम्हारे संग , लगता एक लम्हा सा तुम्हारे संग इन लमहों में देखी सारी दुनिया और इस दुनिया के सारे रंग आज तुम्हारे कहाने पे लगा कि रोक लूँ इस वक़्त को मगर वक़्त का क्या है काटता वक़्त के संग (2003-2005) #लम्हें Your quote Baba YourQuoet Didi #ks_kavita