बह जाने दो इन आंसुओं को,, भीग जाने दो चेहरे को,, टपक जाने दो अपने तन में, थामे रखा है दर्द के जलजले को आज यह मुक्त होने चले हैं,, इन्हें इन की यात्रा में चलें जाने दो,, कहीं से असम्मान का आघात,, कहीं उड़ा ले चली नफरतों की आंधी,, कहीं प्रेम के दिये से रोशन हुआ था जहां,, दीए की बाती भी अब जल जल के बुझ गई,, अरमानों के शहर को खाक कर चली,, बरस रहा जो सावन,मन को जलाए,, तन को भिगोए बैठा हैं,, बूंद-बूंद अरमां बिखर गए,,उम्मीदों की बारिश में,, बेपरवाही के आलम में,, ख्वाबों का बोझ लिए पिघल गए,, टूटी कश्ती थी,, किनारा भी दूर था,, एहसासों का भंवर डुबो दे गया,, #hopelessness #अरमानोकीमहफ़िल #ख्वाबों_कि_दुनियाँ