कुछ रक्तिम कविताओं के अक्षर उकरे देखे मैंने उसकी देह पर, पवन वेग ने अपने स्पर्श से क्षणिक तन से उसके आँचल को परे हटाया था..! कविताएँ जिन्हें किसी प्रेमी ने मात्र स्पर्श से नक्काशी की तरह उकेरा होगा, या फिर किसी दानव रूपी मनुज ने उसे पत्थर समझ पीड़ा की पराकाष्ठा तक छेनी हथौड़ी से अपना हुनर आज़माया होगा। ©अबोध_मन//फरीदा स्त्री के हाव भाव पढ़ने में स्वयं को अधिकांशत: असमर्थ पाती हूँ 🙆🏻♀️ #अबोध_मन 🦋 #बिना_सिर_पैर #कुछभी_typs #मेरी_वाली_nursery_rhymes_ #स्त्री_मुश्किल_तुम्हें_पढ़ना #प्रेम_कविताएँ #दैहिक_झुलसाता #आत्मिक_निखारता For a better Read 👇🏼 (upar light dim h na 😀)