आज एक गहरी रात लाया हूं कल एक चमकता सवेरा लाउंगा! आज सारे सबूत बटोर रहा हूँ कल झूठे नकाब बाहर लाउंगा! आज थक हार के घर आया हूं कल हसता हुआ चेहरा लाउंगा! आज नाराजगी छायी है मुझपर कल खुशी का माहौल लाउंगा! आज दर्द का पिटारा लाया हूं कल प्यार का बौछार लाउंगा! आज खुले आंखों से सपने लाया हूं कल हकिकत का दिवार लाउंगा! आज तन बदन तोड़ कर लाया हूं कल मकान जोड़ कर लाउंगा! आज न जाने कहाँ खो आया हूं कल खुदका पहचान लाउंगा!! ©Saurav Das #आज #गहरी #रात #लाया #हूं #कल #अपनी #पहचान