कोई किश्त है जो अदा नहीं है, साँस बाकी है और हवा नहीं है। नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम पर्चीयां हैं पर दवा नहीं है। आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के मंजर सचमुच अच्छा नहीं है। हर एक शख्स शामिल है इस गुनाह में कुसूर किसका है पता नहीं है। ©Dr Navneet Sharma #PerfectCity