जग की रीत....... आज घर के चौखट पर बैठ ख्याल हो आया दिल फिर से बेहाल हो आया। लोग कहते है, बदल सी गई हूं मै भूल कर ये बदलना उनका है। जब मिली पहली बार उनसे, उनका नजरिया उम्दा पाया। वक़्त के साथ जाना उनको मिलावट का ज़ख़ीरा पाया। खुशबू खिलते फूल बिखेरते जग में मुरझाके मिट ही जाते है। लोग भी जरूरत में याद रखते है, काम होते ही भूल जाते है। उगते सूरज को सलाम करना ही जग की रीत चली अाई है पत्थर को नायाब कहना ही हीरे की रुसवाई है। जग की रीत....#collabculture #collabpain #collabchange