"मुक्तक" फूलों से नित हंसना सीखो, कैसे ये मुस्काते हैं बिखरी हुई उपवन बसंत को फिर मदहोश बनाते हैं फूलों से नित हंसना सीखो कैसे ये मुस्काते हैं प्रातःकाल की वेला में ये मन को बहुत ही भातें हैं फूलों से नित हंसना सीखो कैसे ये मुस्काते हैं कवि --आर.के.शिक्षक