#5LinePoetry वो लड़ते क्योंकि उनको मजहब का परचम लहराना है हम लड़ते हैं क्योंकि हमको अपना अस्तित्व बचाना है हम चारो और से घिरे हुए है खून सने तलवारों से मजबूरी हमारी है लड़ना अत्याधुनिक हथियारों से तुमने हज़ार रॉकेट दागे तो हमने कुछ बम की वर्षा की बाकी जो भी विध्वंश हुआ वह अपनी-अपनी क्षमता थी यह कटु सत्य प्रकृति का कहने में जिव्हा कतराती है अंतर की ममता बाहर आ इसको मिथ्या बतलाती है पर आँख मूंद लेने से कभी नियति नहीं बदली जाती जो एक पीढ़ी बोती है वो दूजी पीढ़ी है पाती जब स्वार्थ का मंथन होता है तब युद्ध से विष ये रिसता है गेहू के साथ में रहने वाला निर्दोष घुन भी पिसता है हाँ बच्चों की जान गई इसका मुझको भी दुख है जी लेकिन बोलो अब क्या विकल्प बचा मेरे सम्मुख है जी जब तक वह दो पथगमी है अधिकार तभी तक शोभित है तब तक ही इसमें जल है जी तब तक ही इसमें शोणित है क्या मानवाधिकारों के खातिर हम शस्त्रों का त्याग करें आतताइयों के ख़ंजर की नोक पर अपना भाग करें हिंसा का, राकेट का उत्तर सद्भाव भला हम कैसे दे ? मेरी अंत के जो अभिलाषी है प्रेम प्रस्ताव उन्हें हम कैसे दें ? ©Manaswin Manu #Israeli_Palestinian_conflict #Voice_of_Israel #An_outsiders_perspective #Manaswin