#हवाला देकर झूठ का महल सजाये बैठे है हवाला देकर झूठ का,वो महल सजाये बैठे है, वो इक गंगू को अपना बादशाह बनाये बैठे है,, हु मै बेशक मालिक कुटिया का,, ख्वाब हम भी राजाओं जैसे सजाये बैठे है,, क्या हुआ इक तलख हम अकेले रह गए,, किसी न किसी दिये मे आग हम भी लगाए बैठे है,,. घमंड मत कर तेरे बादशाह पर,, मैंने बादशाहो को मिट्टी मे मिलाये देखे है, हवाला देकर झूठ का, वो महल सजाये बैठे है जिस दौर से गुजर रहा हु,परखे हुए सब के मिजाज देखे है,, लेगा वक़्त भी इक रोज करवट अपनी,, Pareek साहब बस मौके की बाट मे बैठे है,, तड़पकर तपड़ से तङप जाओगी,, Pareek अब बदलकर अपने मिजाज बैठे है,, और वो बदला चेहरा, बदली फ़िज़ा तुम ही हो ना जो हवाला देकर झूठ का, महल सजाये बैठे है वो इक गंगू को बादशाह बनाये बैठे है,, ©Rahul pareek(RP) हवाला देकर झूठ का महल सजाये बैठे है #Flower