#शक्ति_छंद जिसे चाहते थे दिया वो दगा। यहां कौन किसका हुआ है सगा। सिला प्यार का खूब हमको मिला। शिकायत करें क्या करें अब गिला। पाठ - 55 : शक्ति -18 मात्राएँ - अन्त में (212) मापनी - 122 122 122 12 (लगागा लगागा लगागा लगा) "छन्द प्रभाकर" में 18 मात्राओं के छन्दों के 4181 भेद बताए हैं। पर उसमें सिर्फ 4 छन्दों (राजीवगण, शक्ति, बंदन और पुरारि) का वर्णन मिलता है। "राजीवगण" पर हम पहले ही पाठ-54 में चर्चा कर चुके हैं। हम यहाँ "शक्ति" छन्द पर चर्चा करेंगे। "छन्द प्रभाकर" में इसके बारे में जो शर्तें बतायी हैं वे हैं - आदि में लघु, अन्त में सगण (112) या रगण (212) या नगण (111) होता है। यह भी बताया गया है कि यह छन्द "भुजंगी" और "चन्द्रिका" वर्णिक छन्दों की चाल पर होता है। यति के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। इसमें पहली, छठी, 11वीं और 16वीं मात्राएँ लघु होती हैं।