#OpenPoetry आजकल किसीसे नजरे मिलाने से भी डर लगता है जनाब कही डुब ना जाये किसीकी नशिले निगाहों मे सुना है नशा जो एक बार लग जाये बडा मुश्किल होता है छुडाने मे हसता खेलता muskurataचेहरा उलझ जाता है किसीको पाने मे ,रोग सा लग जाता है इसका कोई इलाज भि तो नहीं है किसी दवाखाने मे आजकल किसीसे नजरे मिलाने से भी डर लगता है कही खो ना जाये किसी कि आँखों मे रब ना करे कही ishq ना हो जाये मुझे किसीसे #OpenPoetry आजकल किसीसे नजरे मिलाने से भी डर लगता है जनाब कही डुब ना जाये किसीकी नशिले निगाहों मे सुना है नशा जो एक बार लग जाये बडा मुश्किल होता है छुडाने मे हसता खेलता muskurataचेहरा उलझ जाता है किसीको पाने मे ,रोग सा लग जाता है इसका कोई इलाज भि तो नहीं है किसी दवाखाने मे आजकल किसीसे नजरे मिलाने से भी डर लगता कही खो ना जाये किसी कि आँखों मे रब ना करे कही ishq ना हो जाये किसीसे