1857 की क्रान्ति के जन्मदाता, एक मसीहा उदैया चमार जिनके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं अंग्रेजों के खिलाफ जंग का ऐलान 1804 में ही हो गया था। दरअसल छतारी के नवाब के वफादार और प्रिय योद्धा ऊदैया चमार ने अंग्रेजों की गलत नीतियों से खफा होकर सैकड़ों अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था। उनकी वीरता के चर्चे आज भी अलीगढ के आस -पास के क्षेत्रो में कहे सुने जाते हैं। आखिर 1807 में अंग्रेजो ने उन्हें पकड़ लिया और फांसी दे दी, लेकिन निडर ऊदैया ने अकेले ही अंग्रेजों से लोहा लिया था। ऐसे महान क्रांतिकारी को कोटि कोटि प्रणाम 🙏🏻🙏🏻 मनोज बोध्या ©manoj solanki boddhy #udya chmar jai bhim