प्रिय चाचा नेहरू साभार : कौन हैं भारत माता "मेरी समझ से प्रेस की स्वतंत्रता, एक व्यापक नजरिए से, केवल एक नारा भर नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का बुनियादी गुण है। मुझे इसमें कोई शक नहीं कि भले सरकार प्रेस द्वारा ली गई छूट को नापसंद करे और उसे खतरनाक समझे, तब भी प्रेस की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करना ग़लत है। उस पर रोक लगाने से आप कुछ बदल नहीं पाएंगे; आप लोगों के दिमाग में जो घुमड़ रहा है उसे केवल दबा भर सकते हैं, और इससे वह विचार और भी ज्यादा फैलेगा। इसलिए मैं उस स्वतंत्रता को कुचलने या एक नियंत्रित प्रेस बनाने की अपेक्षा एक पूरी तरह से स्वतंत्र प्रेस देखना चाहूंगा, भले ही उसमें उस स्वतंत्रता के दुरूपयोग के सारे ख़तरे मौजूद रहें।...... मैं वैधानिक रूप से, या किसी तरह से, सरकारी नीतियों की व्यापक आलोचना अथवा उनकी के भी आड़े नहीं आना चाहता हूं।" पंडित जवाहरलाल नेहरू ©प्रियदर्शन कुमार #JWAHARLALNEHRU