कितनी बार मिलती हैं तुमको वो नायिका जो कंधे पर पर्वत भी उठा सकती हैं और संजीवनी भी ढूँढ सकती हैं बिना संकोच किए बिना संयम खोए कितनी बार मिलती हैं तुमको वो नायिका जो रात को जुगनू बन जाती है और दिन को छावं कितनी बार वो जो फ़क्र से सर सूरज से भी ऊपर उठा सकती हैं और अपनी कर्मठता से सागर की गहराई पाट सकती हैं वो नायिका जो सृष्टि है सृजन है और सीसा भी है @ आरती ।।। ©Mo k sh K an #sisters_at_arms #sisters@arms #they_are_soldiers #mokshkan