भावनायें मुझे भी अच्छा लगता है किसी से मन की बातें करना। किसी की यादों में जीना बेकार सुखमयी रातें करना । हाँ, भावनायें मुझमें भी उपजतीं हैं भय की, क्रोध की प्रेम की , नफ़रत की घृणा की, दर्द की दुख की, आश्चर्य की अपनापन की, समर्पण की पर कई बार उनके अंकुरण से पहले ही और कई बार उगने के तुरंत बाद अपनी वैचारिक अग्नि से मुझे उन्हें भस्म कर देना पड़ता है। क्योंकि यदि वो बड़ी हो गईं तो उनका अरण्य मुझे अपने मूल पथ से भटकाने के लिए पर्याप्त है । #विचार_प्रवाह #thinking