हां मैं उस हद तक टूटना चाहती हूं कोई समेट भी ना पाए इतना बिखरना चाहती हूं !! आस हर बार की खुद से खुद को सवार लूं हर दफा ही मैं खुद को औरों में पाती हूं !! जंग में हर बार ही हार जाती हूं मैं खुद से ज्यादा औरों का भला चाहती हूं !! समझा नहीं कभी किसी ने अब में अपनी ही पहचान खुद से कराना चाहती हूं !! हां में उस हद तक टूटना चाहती हूं कोई समेट भी ना पाए इतना बिखरना चाहती हूं!! ©manju Ahirwar bhopal mp. #manjuahirwar#yourquote#life#reality#selfwriting #Rose