जब बंधते हैं घुंघरू तब पता चलता है कि किस दर्द से गुजर जाती हूं मैं, तेरे आने की कल्पना में एक बार फ़िर से सँवर जाती हूँ मैं, चूम लेती हैं जब ये बेढ़िया मेरे फ़टी ऐढीयों को तो हर दुख उभर जाती हूं मैं, ना जाने क्या ताक़त है इन की अवाज़ में कि जिंदगी जीने की ख्वाईश में उमड़ जाती हूं मैं नृत्य के हुजूम में दीवानी बंकर खुद पर कहर ढाती हूं मैं, मिल गई है जिंदगी जीने की वजह एक, यही सोचकर निखर जाती हूं मैं #yourquote #triptananwani #ghungroo #art #classicaldance